Advertisement

कैसे और क्यो भारत मे राष्ट्रीय ध्वज दिवस कब मनाया जाता है और राष्ट्रीय ध्वज दिवस का इतिहास क्या है और महत्व , निबंध

 कैसे और क्यो भारत मे राष्ट्रीय ध्वज दिवस कब  मनाया जाता है और  राष्ट्रीय ध्वज दिवस  का इतिहास क्या है और महत्व , निबंध (How and why, when is National Flag Day celebrated in India and what is the history and importance of National Flag Day, essay )

भारत के  राष्टीय  ध्वज  को  तिरंगा  भी कहा जाता है  ,भारत की शान ,और भारत का  मान, भारत का राष्टीय  ध्वज स्वाधीनता  का प्रतीक  माना  जाता है,तीन  रंगो से मिलकर बना है  तिरंगा ,तीन  रंगो के समावेश से बना हुआ है ,केसरिया ,सफेद ,हरा , केसरिया  रंग सबसे  ऊपर होता है ,और उसके नीचे सफेद और सबसे नीचे हरा रंग होता है।  राष्टीय  ध्वज की लम्बाई और चौड़ाई 3 :2  है   नीले  रंग का अशोक  चक्र  राष्टीय  ध्वज के बीच में सफेद रंग के ऊपर  होता है अशोक चक्र में  24   धारिया होती है। 

Lifeappki


भारतीय  राष्टीय  तिरंगा  हमारी स्वतंत्रता  का प्रतीक माना  जाता है आजादी के पश्चात  प्रधानमंत्री  जवाहर लाल  नेहरू ने कहा  था की राष्टीय तिरंगा हमारी  स्वतंत्रता नहीं बल्कि ये भारत के समस्त भारतीय  जनता की स्वतंत्रता का प्रतीक  माना  जाता है राष्टीय ध्वज भारतीय  संविधान के अनुसार  खादी  के कपड़े का होना चाहिए  यह खादी का कपड़ा एक विशेष प्रकार  से हाथ से काते  गए  कपड़े से  बनता है जो महात्मा  गाँधी के द्वारा  बनाया  खादी के कपड़े को लोकप्रिय  बनाया  गया ,शुरुआत में  राष्टीय  ध्वज   दिवस  केवल  स्वतंत्रता दिवस और गणत्रंत  दिवस पर  फहराया  जाता था , यूनियन  कैविनेट ने इसमें बदलाव किया और  नागरिको  को फहराने की अनुमति दे दी  स्वतंत्रता के वर्ष बाद भारत के नगरिकों को,अपने घरो , कार्यलयो ,और फैक्ट्रियों ,आदि स्थानों पर बिना किसी  रुकावट के राष्टीय  ध्वज  फहराने  की अनुमति दे दी। 

भारत के राष्टीय  ध्वज के तीनो रंगो का विस्तार से वर्णन।।Detail description of the three colors of the national flag of India:

केसरिया रंग -राष्टीय ध्वज के सबसे ऊपर केसरिया  रंग होता है जो भारत की ताकत और साहस  का प्रतीक माना जाता  है  

सफेद रंग -राष्टीय ध्वज के बीच में सफेद रंग होता है जो सत्य ,और  देश में शान्ति का प्रतीक माना  जाता है 

हरा रंग -राष्टीय ध्वज के सबसे नीचे हरा रंग होता है ,जो देश का विकास ,और व् हरी भरी भूमि की  उर्वरता  को दर्शाता  है 

 अशोक  चक्र -सफेद रंग के बीच में  गहरे नीले  रंग का चक्र होता है जिस चक्र में 24 तीलियाँ  होती है तीसरी  शताब्दी में सम्राट  अशोक द्वारा  अशोक चक्र बनाया गया  सारनाथ  की लाट  लिया गया  था जिसे  धर्म  चक्र भी कहते है, नीले रंग के चक्र  के 24  तीलियों का अर्थ है ,दिन -रात के  24  घंटे जीवन  गतिशील  है ,इसका न होना  का अर्थ  मृत्यु है। 

भारतीय  राष्टीय  ध्वज का महत्व।।  Importance of Indian National Flag:

हमारा  राष्टीय  ध्वज हमारे  देश की स्वतंत्रता का प्रतीक  माना  जाता है , हमारा  राष्टीय ध्वज देश की सभ्यता ,संस्कृति और इतिहास  को दर्शाता है ,अंग्रेजी शासन से मुक्त होने पर देशवाशियो की  स्वतंत्रता का प्रतीक  माना जाता है खुले आसामान में लहराता हुआ  तिरंगा हमारी देश की स्वतंत्रता  को प्रदर्शित करता है  यह भारतीय नागरिको में देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित करता है यह देश की समाजिक  संस्कृतिऔर राजनितिक को  दर्शाता है ,हर भारतवासी  के लिए उसका देश और उसका राष्टीय  ध्वज  सर्वोपरि होना चाहिए ,हमारा तिरंगा देश की विरासत  है ,जो हमे हमारे देश में सभी भारत वासियो के के प्रति एक जुट होने की प्रेरणा  देता है। 

भारतीय   राष्टीय  ध्वज का इतिहास।। Indian  National Flag History 

यह राष्टीय  ध्वज  भारत  के स्वतंत्रता के समय में बनाया  गया था  सन 1947   भारत  देश आजाद होने के कुछ समय बाद ही  भारत का  राष्टीय  ध्वज  बनाने की योजना  बनाई  गई थी  22  जुलाई  1947  को भारतीय   संविधान की  सभा के दौरान  प्रस्तुत  किया  गया  था ,और इसके बाद 15  अगस्त 1947  से  26  जनवरी  1950  के बीच  राष्टीय  ध्वज  को प्रस्तुत  किया  गया  था।   पिगंली वैंकैया  द्वारा   राष्टीय  ध्वज  बनाया  गया था। 

सभी भारतीय  राष्टीय  ध्वजो का  इतिहास।। All  Indian  National Flag History

1904:  भारत का प्रथम  राष्टीय ध्वज  1904 में  स्वामी विवेकानंद  जी शिष्या  भगिनी  निवेदिता के द्वारा बनाया  गया  था इस ध्वज को   भगिनी  निवेदिता के नाम से जान गया  और इस  ध्वज  का  रंग  लाल  और पीला  था जिसमे लाल रंग  आजादी की लड़ाई और पीला रंग जीत  का प्रतीक  माना  गया था , और 1906  शचीन्द्र  कुमार बोस  ने   बंगाल  के  बटवारे के विरोध  में लाये  थे ,इस ध्वज में तीन  रंगो  थे ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया ,बीच में  पीला और नीचे हरा  रंग  का इस्तेमाल किया  गया  था  ,इस ध्वज में केसरिया  रंग के ऊपर 8  अध् लिखे  कमल का फूल सफेद  रंग  में थे,  नीचे  हरे रंग पर सूर्य और चन्द्रमा  बना  हुआ  था ,और बीच में पिले रंग से हिंदी में वन्देमातरम लिखा हुआ था ,  और  7  अगस्त  1906  में  सुरेन्द्रनाथ  बैनर्जी द्वारा  कलकत्ता  के पारसी  बागान  चौक  पर फहराया  गया  था।

1907:भारत में दूसरा  ध्वज मैडम कामा और उनके साथ  कुछ  निर्वासित  किये गए कुछ क्रन्तिकारियो  द्वारा 22  अगस्त 1907  में   जर्मनी  में फहराया  गया था  कुछ लोगो का मनना  है इस  ध्वज में तीन रंग थे ,  सबसे ऊपर हरा रंग  और बीच में केसरिया और सबसे  नीचे लाल  रंग था , इस  ध्वज को  'बर्लिन  कमिटी  ध्वज ' केनाम से भी जाना  गया था     इस ध्वज को पहली  बार विदेशी देश में फहराया  गया  था  भारत में नहीं   ,  

1917 :बाल  गंगाधर तिलक ने  1917  में एक राष्टीय  ध्वज के रूप में प्रदर्शित  किया गया  इस  ध्वज को  डॉ.एनीबिसेंट और  लोकमान्य तिलक  ने घरेलु शासन   आंदोलन  के दौरान  तीसरे ध्वज को फहराया  था   इस ध्वज में  5  लाल  और  4 हरी क्षैतिज  पट्टिया  थी और एक बाद एक  एक और सप्तऋषि  के अभिविन्यास  में इस पर सात  सितारे बने  हुए थे , ध्वज के  ऊपरी किनारे  पर बायीं ओर यूनियन  जैक  था और एक कोने में सफेद  अर्ध चंद  और सितारा  बना हुआ   था। 

  कांग्रेस  के सत्र  विजयवाड़ा  में  किया  गया  पिगंली  वैंकैया  नाम की लेखिका  ने एक ध्वज फिर  बनाया  और गाँधी  जी   को दिखाया  गाँधी जी  एक सुझाव दिया था  भारत के सभी  शेष  समुदाय  को एक जुट  करने के लिए एक  सफेद  पट्टी पर  चलता  हुआ   चरखा  होना चाहिए  ,पिगंली  ने ध्वज को पहली बार  खादी  कपड़े  से बनाया  था  यह ध्वज दो रंगो का बना हुआ था लाल और हरे  रंग का  ,  इस ध्वज के बीच में  प्रगति का संकेत  देता हुआ  चलता हुआ चरखा  भी बनाया गया था  इस ध्वज को महात्मा  गाँधी ने नामंजूर  कर  दिया  ,उनका मनाना  था की लाल रंग  हिन्दू  का प्रतीक है और हरा रंग मुश्लिम  जाति का। 

1931:  इस ध्वज का कोई सम्प्रदायिक  महत्व  नहीं था  इन्ही  बातो को याद  मे रखते हुए  ध्वज में लाल रंग की जगह गेरू रंग कर  दिया  गया  यह रंग  हिन्दू और  मुसिलम  दोनों  जाति  को प्रकट करता था लेकिन फिर इस  ध्वज में सिखो  ने अपनी जाति  प्रकट करने की मांग की , इस बात  को देखते हुए पिगंली  वैंकैया एक न्य ध्वज का निर्माण  किया , जिसमे तीन रंगो से बनाया  गया , ध्वज में सबसे केसरिया  रंग ,बीच में सफेद  और सबसे नीचे  हरा रंग ,इसमें सफेद  रंग के ऊपर नीले  रंग का  चरखा  बना था।   ,जिसके बाद यह ध्वज  कांग्रेस का अधिकारी ध्वज बन गया। 

1947 :15  अगस्त  1947  में जब देश आजाद  हुआ  तब  भारतीय  संविधान  की सभा  ने वर्तमान ध्वज  को भारत के  राष्टीय  ध्वज के रूप में स्वीकार  किया 1931  के दौरान  बनाये  गए  ध्वज में चलते हुए चरखे की जगह  पर साम्राट  अशोक  के धर्म चक्र ने ली , भारत देश   को आजादी मिलने  के बाद ध्वज के रंग और उनका महत्व बना  रहा  , ऐसी प्रकार से  भारत देश  का राष्टीय  ध्वज तैयार हो गया। 

राष्टीय ध्वज के फहराने का  नियम । Rules  for hoisting the national flag -

भारत के  राष्टीय ध्वज को लेकर भारत में   कुछ नियम और विनियम  है की किस तरह भारतीय  राष्टीय  ध्वज को फहराया  जाय,
  • भारतीय  राष्टीय ध्वज को   शैक्षिक  जगहों  जैसे विद्यालय ,कॉलेज ,खेल परिसरों ,आदि  जगहों पर भारतीय राष्टीय  को सम्मान  के लिए फहराया  जाय
  • राष्टीय  ध्वज को सूर्योदय    से सूर्यास्त  होने के बीच   फहराना  चाहिए 
  • राष्टीय को कभी जमीन  पर रखा नहीं जाता  और  ध्वज को  झुकाया  नहीं जाता ,
  • ध्वज हमेशा  खादी  के कपड़े  से बना  होना चाहिए ,
  • ध्वज  में केसरिया रंग को   नीचे  करके कभी नहीं फहराना  चाहिए 
  • ध्वज को हमेशा सबसे अच्छी जगह पर ही फहराये 
  • ध्वज का इस्तेमाल घर में परदे ,मेज को ढकने ,और सजाने में  नहीं किया जाना  चाहिए ,ये गलत है
  • ध्वज को किसी तरह  का नुकसान  नहीं पहुँचाना  चाहिए  जैसे ,आग में जलाना ,पानी में डुबोना ,ध्वज को किसी तरह का मौखिक और शाब्दिक  तौर पर  इसका अपमान नहीं करना  चाहिए ,अगर कोई व्यक्ति ऐसे करते हुए पाया गया तो उसे  भारतीय संविधान के अनुसार तीन साल की जेल और जुर्माना  भी हो सकता है 
और ये भी पढ़े -

 

  

       

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ